इस जहाँ में ऐसी कोई जगह नहीं जहां सिर्फ एक जाति, एक धर्म और एक रंग के लोग रहते हो. हर जगह विविधता है. संख्या का अनुपात अलग-अलग हो सकता है.
क्या उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अब कोई नया विवाद नहीं होगा
9 नवंबर 2019 को बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आ चुका है. फैसले से सारी दुनिया वाकिफ है. मस्जिद के गुंबद वाली जगह को हिंदू पक्ष के हक में दे दिया गया है. सरकार को उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया है कि मुस्लिम पक्ष के लिए 5 एकड़ जमीन अयोध्या में मस्जिद के लिए दी जाए.
हिन्दी है हम, वतन है हिंदुस्ता हमारा
सावन का महीना चल रहा है. हर तरफ शिव भक्तों की गंगा बह रही है चाहे वह सड़के हो या आभासी दुनिया. पूरे सावन यह धूम मची रहेगी. इस पावन महीने में सोमवार का खास महत्व होता है. शिवभक्त हर सोमवार पूजा-पाठ करते हैं तभी कुछ अन्न ग्रहण करते हैं. आज सावन का तीसरा सोमवार है. अपने स्कूल में बैठा अपना मोबाइल चला रहा था तभी एक संदेश आया -
कन्हैया का जन्म एक उम्मीद?
सुना था बाल मन को जिस सांचे में ढालो वह ढल जाता है. बात सही भी है. बचपन में हर बच्चा एक एम्पटी कैनवस की तरह होता है जिस पर हम जो रंग भरना चाहे भर सकते हैं. यह बात परीवार और आसपास के पर्यावरण पर मजबूती से निर्भर करता है.
ये उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है
अलीगढ़ से हिंदू महासभा का गांधी के तस्वीर पर गोली चलाने का वीडियो पूरे विश्व में जिस तरह से फैल रहा है, जिस प्रकार नाथूराम का भूत लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है ऐसे में मुझे डॉक्टर राहत इंदौरी का एक शेर याद आ पड़ता है..
मुझे हीरे की कीमत पे शीशे नहीं चाहिए !
वर्तमान समय भविष्य का निर्धारण करता है इसलिए समसामयिक घटनाओं का सिर्फ मूकदर्शक नहीं बल्कि बदलाव की अलख जगानी चाहिए. एक मानवतामूलक व्यक्ति को कभी इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए कि उसके पीछे जमाना है या नहीं बल्कि जमाने की आंखों में आंखें डाल निर्भीक होकर बात करनी चाहिए चाहे गौरी लंकेश का ही उदाहरण क्यों न चरितार्थ हो. हमारा और आपका एक कदम ऐसे लोगों की फौज खड़ा करने का माद्दा रखता है जो सामाजिकता और मानवाधिकार के लिए खड़े हो. पग-पग पर मुश्किलें हैं, खतरा है लेकिन हमारी सोच, हमारे विचार हमारी ताकत है.
लव जिहाद या हिंदुत्व की राजनीति ?
भारत जब ब्रिटिश शासन की गुलामी की जंजीरो में जकड़ रहा था और जब गुलामी की जंजीरों से आज़ाद हो रहा था, ये दोनों ऐसे समय थे जो हमें कुछ सीख दे रहे थे. जब हमारा देश गुलाम बना उस वक़्त हम बटे हुए थे. उस वक़्त के राजशाही में शासन विकेन्द्रित हो चुकी थी. सारे सूबे लगभग स्वायत्त हो चुके थे. ऐसे में अंग्रेज आए और धीरे-धीरे सब जगह अपनी ताकत फैलाते गए और अंततः अपनी हुकूमत कायम की.
दिव्यांग कह के एहसान न करें साहेब
अभी कुछ दिनों की बात है जब शिक्षक प्रशिक्षण के लिए प्रखंड संसाधन केन्द्र गया हुआ था. यह प्रशिक्षण समावेशी शिक्षा के बारे में था.